13.11.09

सबको शिक्षा समान शिक्षा के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान

शिरीष खरे









मुंबई। बालदिवस के मौके पर क्राई ने एक 'सबको शिक्षा समान शिक्षा' नाम से राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ा है जिसमें सभी लोगों को एक घोषणापत्र में हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। इसके बाद घोषणपत्र को सरकार के सामने रखा जाएगा और बच्चों की निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 में 3 संशोधनों के लिए कहा जाएगा।


क्राई की तीन मांगों में से पहली यह है कि 6 साल से नीचे और 15 से 18 साल तक के बच्चों को भी मुख्य प्रावधान में लाया जाए। दूसरी, हर बस्ती से 1 किलोमीटर के भीतर योग्य शिक्षक और सुविधायुक्त स्कूल हों। तीसरी, सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जाए।

क्राई के मुताबिक इस अधिनियम में ऐसी बहुत सारी कमियां हैं जो बच्चों को उनके बुनियादी हकों से बेदखल करती हैं और उनके बीच की असमानताएं बढ़ाती हैं। इसलिए संस्था ने तय किया है कि वह शिक्षा अधिनियम में संशोधन के लिए जनता का समर्थन लेगी और इस तरह से सरकार का ध्यान खीचेगी। यह घोषणापत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्र सरकार के मंत्रियों और सभी राज्यों के महत्वपूर्ण अधिकारियों के सामने पेश किया जाएगा।

क्राई की डायरेक्टर योगिता वर्मा सहगल ने इस अभियान के बारे में बताया है कि ‘‘आगामी शीतकालीन सत्र हमें सरकार से यह कहने का एक मौका देता है कि अधिनियम और उसके प्रावधानों में संशोधन किए बगैर देश के हर बच्चे तक उसके अधिकार नहीं पहुंच सकते हैं। इसे देखते हुए क्राई ने 18 राज्यों के अपने 200 से भी ज्यादा ग्रासरूट एनजीओ को साथ लिया है और 6700 बस्तियों मे यह हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। हम देश के कई हिस्सों में बहुत से कार्यक्रम करेंगे और नागरिकों को इस अधिनियम में मौजूद कमियों के बारे में बताएंगे। हम उनसे कहेंगे कि वह इस अभियान में भाग लेकर बच्चों के अधिकारों के लिए सरकार पर दबाव बनाएं। हमें उम्मीद है कि इस घोषणापत्र पर देश भर से 5 लाख से ज्यादा नागरिक हस्ताक्षर करेंगे।’’

क्राई ने शिक्षा अधिनियम में संशोधन की जरूरत को बतलाने के लिए 500 से ज्यादा गांवों और 22 से ज्यादा शहरों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला लिया है। उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद और बनारस के कई झुग्गी बस्तियों में बच्चों के ऐसे कार्यक्रम हो भी चुके हैं।

11 दिसम्बर को यह अभियान पूरा होगा। 11 दिसम्बर की तारीख बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन की सालगिरह के चलते खास मानी जाती है। देशभर से नागरिकों के हस्ताक्षर करने के बाद इस घोषणापत्र को एक प्रतीकात्मक पुस्तिका के तौर पर राष्ट्रपति के हाथों में सौपा जाएगा।

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